हल्द्वानी। गोवर्द्धन मठ पुरी पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि भारत में धर्म के नाम पर पूरा व्यापार तंत्र सक्रिय है और उसी के अधीन शासन तंत्र है। अगर दर्शन, विज्ञान और व्यवहार में सामंजस्य साधकर बात की जाए तो विश्व इसे स्वीकार करेगा। यह विधा सनातन धर्म में ही है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!वर्तमान राजनीति पर जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि विश्व स्तर पर राजनीति को परिभाषित करने की जरूरत है और संयुक्त राष्ट्र से अपेक्षा है कि वह इसे परिभाषित करने के लिए आगे आए।
हल्द्वानी में धर्म, अध्यात्म और राष्ट्र से संबंधित प्रश्नों के जवाब देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि सत्ता लोलुपता के कारण भारत समेत दुनिया भर में धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी व्यापार तंत्र फैल गया है। हालांकि, यह अधिक समय तक नहीं चलेगा। बहुत से लोग धर्म के नाम पर व्यापार करने आए और चले गए और अंत में सत्य की ही जीत हुई। हमेशा धर्म और शास्त्रों में चलने वाला ही आगे जाता है। हाल ही में कृषि कानून पर लिए गए निर्णय पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ने भीड़ तंत्र के आगे घुटने टेकने का काम किया है।
असली को पहचाने, नकली को दंडित करे सरकार
धर्म के नाम पर देश में घूम रहे अनेक शंकराचार्यों, धर्माचार्यों को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्रीय शासन तंत्र को चाहिए कि वह चार शंकराचार्यों को घोषित करे। इनके अलावा जो नकली बनकर घूम रहे हैं उनको दंडित करे। कुछ वर्ष पहले तक कुछ राजनेताओं के नकली दामाद घूम रहे थे जो अब जेल में बंद हैं। ऐसे नकली धर्मगुरुओं को दंडित करना चाहिए।
गो रक्षक कोई भी दल नहीं
स्वामी शंकराचार्य का कहना है कि गाय को आवारा कहने से उसके प्रति आस्था का भाव ही नहीं रहा। आज भारत में कोई भी दल खुलकर गो रक्षा की बात नहीं कर रहा। खेती पारंपरिक नहीं रही। मशीनों ने खेत जोतने शुरू कर दिए। गोबर की खाद पर निर्भरता नहीं रही, ऐसे में गो वंश का ह्रास होगा जो इनके विलोप होने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
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