सार
शासन की ओर से भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के चार अफसरों को हटा दिया गया। वहीं, 30 आईएफएस के तबादले कर दिए गए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!विस्तार
चार दिन पहले धामी सरकार की ओर से वन विभाग में किए गए तबादलों पर सवाल उठने लगे हैं। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध पातन और निर्माण के मामले में जहां शासन की ओर से भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के चार अफसरों को हटा दिया गया। वहीं, 30 आईएफएस के तबादले कर दिए गए।
प्रदेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ भारतीय वन सेवा अधिकारी संघ मुखर हो गया है। संघ ने अब इस मामले को मुख्यमंत्री दरबार में उठाने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री के स्तर से मामला नहीं सुलझने पर आगे की रणनीति के तहत कुछ आईएफएस अधिकारी कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।
यह पहली बार है, जब प्रदेश में आईएफएस अधिकारियों के संघ ने तबादलों के आदेश के खिलाफ मोर्चा खोला है। प्रदेश में बीती 25 नवंबर को जहां पीसीसीएफ सहित चार वन अफसरों को हटा दिया गया, वहीं 30 आईएफएस एवं पीएफएस अधिकारियों के तबादले कर दिए गए। इन तबादलों में कई तरह की विसंगतियां गिनाई जा रही हैं।
तबादलों में इन अधिकारियों को प्रभारी डीएफओ की नियुक्ति दे दी गई, जबकि राज्य में कई आईएफएस अधिकारी दो-दो साल से पोस्टिंग के इंतजार में हैं। वहीं कई आईएफएस अधिकारियों को टेरिटोरियल डिवीजन से हटाकर अनुसंधान, भूमि संरक्षण समेत अन्य प्रभागों में भेज दिया गया है। कुछ को मुख्यालय अटैच किया गया है। दो आईएफएस को हटाकर प्रांतीय वन सेवा (पीएफएस) के अधिकारियों को तैनाती दी गई है। तीन अधिकारियों को डेपुटेशन पर भेज दिया गया है।
भारतीय वन सेवा अधिकारी संघ, उत्तराखंड के अध्यक्ष कपिल लाल का कहना है कि एसोसिएशन को ऐसी तमाम आपत्तियां प्राप्त हो रही हैं, जिसमें वन अफसरों को तबादलों केे लेकर रोष है। इस मामले में एसोसिएशन के पदाधिकारी शीघ्र ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर अपनी बात रखेंगे। वन सचिव और सिविल सर्विस बोर्ड के समक्ष भी मामला उठाया जाएगा।