लोगों की उत्सुकता है कि सीएम रहते हुए चुनाव न जीत पाने का मिथक क्या धामी तोड़ देंगे। हालांकि पुष्कर सिंह धामी कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी से 1600 वोटो से पीछे चल रहे हैं। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार है हरीश रावत
वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, इसलिए पूरी कांग्रेस की निगाहें उनकी सीट पर लगी है। उन्हें भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने कड़ी टक्कर दी है। इस सीट पर कांग्रेस की बागी प्रत्याशी संध्या डालाकोटी के मैदान होने से हरीश रावत के लिए चुनौती खासी कड़ी मानी जा रही है। अभी तक आए रुझानों के मुताबिक बीजेपी के डॉक्टर मोहन सिंह बिष्ट 5300 वोटों से हरीश रावत आगे चल रहे हैं।
बार-बार मुख्यमंत्री बदलने के लिए सुर्खियों में रहे उत्तराखंड को एक बार फिर नया मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। यदि पार्टी मिथक तोड़ते हुए सत्ता में वापसी करती है तो पुष्कर सिंह धामी ही मुख्यमंत्री बनेंगे। दूसरी तरफ, कांग्रेस सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह सवाल सड़क से लेकर राजनीतिक गलियारों में भी सबसे ज्यादा सुर्खियां में रहा है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम सबसे अधिक चर्चा में है।
उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सवाल का जवाब महज कुछ घंटों में स्पष्ट हो जाएगा। भाजपा ने चुनाव से पहले ही युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आगे करते हुए उनके चेहरे पर दांव खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मंच से इसकी घोषणा कर चुके हैं। पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी अपनी चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री के तौर पर धामी का नाम लिया।
पार्टी के भीतर उनके नाम को लेकर किसी भी स्तर पर कोई विवाद नहीं है। इसलिए स्पष्ट है कि यदि पार्टी बहुमत पाती है तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही होंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी भी प्रकार से भ्रम की स्थिति नहीं है। पार्टी ने धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ा है और वही मुख्यमंत्री होंगे।
प्रीतम खेमा आसानी से तैयार नहीं
इधर, कांग्रेस की इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं है। पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष की कमान पूर्व सीएम हरीश रावत को सौंपी गई है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, यह स्पष्ट नहीं है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, काफी हद संभव है कि सत्ता में वापसी करने पर हरीश रावत को ही मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी जाए, लेकिन प्रीतम खेमा इसके लिए आसानी से तैयार नहीं होगा।
क्योंकि, वह खुद मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल बताए जाते हैं। इसके लिए पार्टी किसी ऐसे फार्मूले पर आगे बढ़ सकती है, जो दोनों खेमों को मंजूर हो। तीसरे विकल्प के तौर पर कोई अप्रत्याशित चेहरा भी सामने आ सकता है। फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रीतम सिंह का एक ही बयान सामने आ रहा है कि मुख्यमंत्री पार्टी हाईकमान को तय करना है।
हालांकि, हरीश यह जोड़ना नहीं भूलते हैं कि प्रदेश से लेकर देश तक (इशारा हाईकमान की तरफ) स्पष्ट रूप से यह जानता है कि अगर हमें जनादेश मिलता है तो वह किसके नाम पर मिला है। निश्चित तौर पर पार्टी हाईकमान इस मामले में सही फैसला लेगा। वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ का कहना है कि हमने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा है। चुने गए विधायक अपने नेता का चुनाव करेंगे, जिस पर पार्टी हाईकमान मुहर लगाएगा।